जय श्री श्यामथाली भरकर लायी रे खीचड़ो, ऊपर घी की बाटकी, |
जीमो म्हारा श्याम धणी,जीमावे बेटी जाट की!! |
बाबो म्हारो गाव गयो है, ना जाने कद आवेगों , |
उंके भरोसे बैठ्यो रह्यो तो भूको ही रह जावेगो!! |
आक जिमाऊ तन्ने रे खीचड़ो, कल राबड़ी घाट की , |
जीमो म्हारा श्याम धणी,जीमावे बेटी जाट की!! |
बार-बार मंदिर ने जड़ती, बार-बार में खोलती, |
कैयआ कोणी जम्मे रे मोहन, करडी करडी बोलती , |
तू जिमेगो जड़ मैं जिम्मु मान्नु ना कोई लाट की, |
जीमो म्हारा श्याम धणी,जीमावे बेटी जाट की!! |
पर्दों भूल गयी सांवरिया, पर्दों फेर लगायो है, |
घाबलिया की ओट बैठकर, श्याम खीचड़ो खायो है, |
भोला ढाला भक्ता के घर, संवारियो कैयआ आट की |
जीमो म्हारा श्याम धणी,जीमावे बेटी जाट की!! |
भक्ति हो तो कर्मा जैसी, संवारियो घर आवेलो, |
'सोहनलाल लोहाकार' प्रभु का हर्ष-हर्ष गुण गवेलो, |
साचो प्रेम प्रभु में तो मूरत बोले काठ की, |
जीमो म्हारा श्याम धणी,जीमावे बेटी जाट की!! |
जय श्री श्याम |
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"सार्थक"
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शनिवार, 16 मार्च 2013
शुक्रवार, 8 मार्च 2013
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरन्ये त्रयम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते
अर्थ :- नारायणी तुम सब प्रकार का मंगल प्रदान करनेवाली मंगलमयी हो, कल्याणदायिनी शिवा हो, सब पुरुषार्थो को सिद्ध करनेवाली, शरणागतवत्सला, तीन नेत्रोंवाली एवं गौरी हो। हे माँ दुर्गा आपके श्री चरणों में नमस्कार है
!! ♥ जय माँ अंबे गौरी ♥ !!
शरन्ये त्रयम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते
अर्थ :- नारायणी तुम सब प्रकार का मंगल प्रदान करनेवाली मंगलमयी हो, कल्याणदायिनी शिवा हो, सब पुरुषार्थो को सिद्ध करनेवाली, शरणागतवत्सला, तीन नेत्रोंवाली एवं गौरी हो। हे माँ दुर्गा आपके श्री चरणों में नमस्कार है
!! ♥ जय माँ अंबे गौरी ♥ !!
बुधवार, 29 अगस्त 2012
***कवि वंदना***
* चरन कमल बंदउँ तिन्ह केरे। पुरवहुँ सकल मनोरथ मेरे॥
कलि के कबिन्ह करउँ परनामा। जिन्ह बरने रघुपति गुन ग्रामा॥2॥
भावार्थ:-मैं उन सब (श्रेष्ठ कवियों) के चरणकमलों में प्रणाम करता हूँ, वे मेरे सब मनोरथों को पूरा करें। कलियुग के भी उन कवियों को मैं प्रणाम करता हूँ, जिन्होंने श्री रघुनाथजी के गुण समूहों का वर्णन किया है
* चरन कमल बंदउँ तिन्ह केरे। पुरवहुँ सकल मनोरथ मेरे॥
कलि के कबिन्ह करउँ परनामा। जिन्ह बरने रघुपति गुन ग्रामा॥2॥
भावार्थ:-मैं उन सब (श्रेष्ठ कवियों) के चरणकमलों में प्रणाम करता हूँ, वे मेरे सब मनोरथों को पूरा करें। कलियुग के भी उन कवियों को मैं प्रणाम करता हूँ, जिन्होंने श्री रघुनाथजी के गुण समूहों का वर्णन किया है
शुक्रवार, 24 अगस्त 2012
बुधवार, 6 जून 2012
“अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो सारी कायनात उसे तुम से मिलाने में लग जाती है”
*मित्रो ये वो सिद्धांत है जो कहता है कि आपकी सोच हकीकत बनती है. अगर आप सोचते हैं की आपके पास बहुत पैसा है तो, आपके पास बहुत पैसा हो जाता है, यदि आप सोचते हैं कि मैं हमेशा गरीब रहूँगा, तो ये भी सच हो जाता है, शायद सुनने में अजीब लगे पर ये एक सार्वभौमिक सत्य है. यानि हम अपनी सोच के दम पर जो चाहे वो बन सकते हैं. और ये कोई नयी खोज नहीं है भगवान् बुद्ध ने भी कहा है "हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है" स्वामी विवेकानंद जी ने भी यही बात इन शब्दों में कही है "हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है" इसलिए इस बात का धयान रखिये कि आप क्या सोचते हैं.
क्योकि आपकी प्रबल सोच हकीक़त बनने का कोई ना कोई रास्ता निकाल लेती है .
-धन्यवाद
*मित्रो ये वो सिद्धांत है जो कहता है कि आपकी सोच हकीकत बनती है. अगर आप सोचते हैं की आपके पास बहुत पैसा है तो, आपके पास बहुत पैसा हो जाता है, यदि आप सोचते हैं कि मैं हमेशा गरीब रहूँगा, तो ये भी सच हो जाता है, शायद सुनने में अजीब लगे पर ये एक सार्वभौमिक सत्य है. यानि हम अपनी सोच के दम पर जो चाहे वो बन सकते हैं. और ये कोई नयी खोज नहीं है भगवान् बुद्ध ने भी कहा है "हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है" स्वामी विवेकानंद जी ने भी यही बात इन शब्दों में कही है "हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है" इसलिए इस बात का धयान रखिये कि आप क्या सोचते हैं.
क्योकि आपकी प्रबल सोच हकीक़त बनने का कोई ना कोई रास्ता निकाल लेती है .
-धन्यवाद
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