जय श्री श्यामथाली भरकर लायी रे खीचड़ो, ऊपर घी की बाटकी, |
जीमो म्हारा श्याम धणी,जीमावे बेटी जाट की!! |
बाबो म्हारो गाव गयो है, ना जाने कद आवेगों , |
उंके भरोसे बैठ्यो रह्यो तो भूको ही रह जावेगो!! |
आक जिमाऊ तन्ने रे खीचड़ो, कल राबड़ी घाट की , |
जीमो म्हारा श्याम धणी,जीमावे बेटी जाट की!! |
बार-बार मंदिर ने जड़ती, बार-बार में खोलती, |
कैयआ कोणी जम्मे रे मोहन, करडी करडी बोलती , |
तू जिमेगो जड़ मैं जिम्मु मान्नु ना कोई लाट की, |
जीमो म्हारा श्याम धणी,जीमावे बेटी जाट की!! |
पर्दों भूल गयी सांवरिया, पर्दों फेर लगायो है, |
घाबलिया की ओट बैठकर, श्याम खीचड़ो खायो है, |
भोला ढाला भक्ता के घर, संवारियो कैयआ आट की |
जीमो म्हारा श्याम धणी,जीमावे बेटी जाट की!! |
भक्ति हो तो कर्मा जैसी, संवारियो घर आवेलो, |
'सोहनलाल लोहाकार' प्रभु का हर्ष-हर्ष गुण गवेलो, |
साचो प्रेम प्रभु में तो मूरत बोले काठ की, |
जीमो म्हारा श्याम धणी,जीमावे बेटी जाट की!! |
जय श्री श्याम |
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शनिवार, 16 मार्च 2013
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