बुधवार, 6 जून 2012

***सार्थक वाणी***प्रेम एक शब्द है 

प्रेम एक शब्द है 
उस दिव्य अनुभूति का इशारा मात्र,
जैसे शरीर हो और उस की छाया प्रेम, 
इसलिए प्रेमी जब भी कहे में तुम्हे प्रेम करता हूँ, 
यह कहना सिर्फ एक मात्रा होती है, 
क्योकि प्रेम की तो मनस्थिति होती है, 
उसकी कोई चर्चा नहीं होती वह मूक है लेकिन ज्यादा प्रखर ज्यादा समर्पित एवं दिव्य है 
इसलिए परमात्मा को प्रेम भी कहते हैं !

*मित्रो आज की "सार्थक वाणी" में हमारे एक मित्र --विकाश चौधरी ने प्रेम के ऊपर यह बात कही है, कृपया अपने comments के माध्यम से बताएं की ये POST आपको कैसी लगी !

—धन्यवाद

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें